मजहब है, व्यापार नहीं,
धर्म कोई हथियार नहीं।
मेरा मन, मेरा जीवन,
बिकने को तैयार नहीं।
चारों तरफ़ सजा है जो,
तेरा-मेरा प्यार नहीं।
बहुत अकेला होगा वो,
जो यारों का यार नहीं।
शिकारियों को लगता वो
होंगे कभी शिकार नहीं।
धर्म कोई हथियार नहीं।
मेरा मन, मेरा जीवन,
बिकने को तैयार नहीं।
चारों तरफ़ सजा है जो,
तेरा-मेरा प्यार नहीं।
बहुत अकेला होगा वो,
जो यारों का यार नहीं।
शिकारियों को लगता वो
होंगे कभी शिकार नहीं।