वो तुम्हारा मिल जाना मुझे
मेरे लिए वो अहसास हुईं तुम
जिसने चलते रहने को
यात्रा बनाया
वो सपना जिसने सच्चाई को गाया
वो सुंदरता जिसने
सादगी का गीत सुना
और वो बारिश जिसने होने के लिए
सूखे को चुना
तुम मिलीं जैसे थकान को बसेरा
अँधेरे को सवेरा
काग़ज़ को कलम
रास्ते को कदम
जैसे पहली बार मिलें किसी पौधे को कलियाँ
ऐसे मिलीं तुम जैसे
उलझे पड़े सूत को जुलाहे की उँगलियाँ
मैंने तो जंगलों में जंगल ही देखे थे
तुमने कहा कि ये जंगल नहीं
छुपी हुई राहें हैं
मैंने तो दीवारों को बाँटते ही देखा था
तुमने बताया कि ये
घर को गोद लेने के लिए
धरती की उठी हुई बाँहें हैं
मैं प्यास की सड़क पे हज़ारों साल का सफ़र
तुम कड़ियल चट्टानों पे झरने का असर
तुमने मेरी एक-एक मुश्किल यों चुनी जैसे
कोई निपट दरिद्र चुन रहा हो एक-एक सिक्का
जैसे दाल से माँ बीन रही हो एक-एक कंकड़
जैसे कोई गायक
एक-एक सुर उठा रहा हो
जैसे कोई बरसोंबरस की चुप्पी में
संगीत का मर्म गुनगुना रहा हो-
औरों का दु:ख
गंगाजल है
देखा नहीं
पिया जाता है
... ऐसे प्यार किया जाता है।