Wednesday, 30 January 2019

गांधी-गीत

पिटने वाला रोया नहीं देखकर उसको
पीट रहा था जो वो अब भी डर जाता है
तीन गोलियों से क्या गांधी मर जाता है?

सबकी खातिर उगना नहीं छोड़ता सूरज
सबकी खातिर हवा चला करती है अब भी
जो सबसे पीछे है उसे देखने वाली
नेक नज़र चुपचाप भला करती है अब भी

चलता जा चलता जा कोई यह कह-कहकर
दुबले पाँवों में भी हिम्मत भर जाता है
तीन गोलियों से क्या गांधी मर जाता है?

साम्प्रदायिकता खेल दिखाती जब सड़कों पे
उग्रवाद के साँप उजाले को डँसते हैं,
अत्याचार खड़ा होता जब सीना ताने
दफ़्तर में तो गांधी फ़ोटो में हँसते हैं।

गांधी मरता जब गांधी-टोपी के नीचे
सर की नस-नस में षड्यंत्र पसर जाता है
तीन गोलियों से क्या गांधी मर जाता है?

भेदभाव के कारण इज़्ज़त कुचली जाए
तो उसको छल से सम्मान बता देता हूँ,
पहले इन्कम ज़्यादा हो तिकड़म करता हूँ
टैक्स बचाने को फिर उसे छुपा लेता हूँ।

गांधी मरता जब मेरी अपनी करतूतों
का इल्ज़ाम दूसरे के सर पर जाता है
तीन गोलियों से क्या गांधी मर जाता है?

Tuesday, 29 January 2019

गांधी कभी नहीं मरते

गांधी जी को सोचते/महसूस करते हुए एक गीत होने लगा। इस अपूर्ण रचना के माध्यम से उन युगपुरुष को पूर्ण नमन!

पिटने वाला रोया नहीं देखकर उसको
पीट रहा था जो वो अब भी डर जाता है
तीन गोलियों से क्या गांधी मर जाता है?

सबकी खातिर उगना नहीं छोड़ता सूरज
सबकी खातिर हवा चला करती है अब भी
जो सबसे पीछे है उसे देखने वाली
नेक नज़र चुपचाप भला करती है अब भी

चलता जा चलता जा कोई यह कह-कहकर
दुबले पाँवों में भी हिम्मत भर जाता है
तीन गोलियों से क्या गांधी मर जाता है?