गांधी जी को सोचते/महसूस करते हुए एक गीत होने लगा। इस अपूर्ण रचना के माध्यम से उन युगपुरुष को पूर्ण नमन!
पिटने वाला रोया नहीं देखकर उसको
पीट रहा था जो वो अब भी डर जाता है
तीन गोलियों से क्या गांधी मर जाता है?
सबकी खातिर उगना नहीं छोड़ता सूरज
सबकी खातिर हवा चला करती है अब भी
जो सबसे पीछे है उसे देखने वाली
नेक नज़र चुपचाप भला करती है अब भी
चलता जा चलता जा कोई यह कह-कहकर
दुबले पाँवों में भी हिम्मत भर जाता है
तीन गोलियों से क्या गांधी मर जाता है?
पिटने वाला रोया नहीं देखकर उसको
पीट रहा था जो वो अब भी डर जाता है
तीन गोलियों से क्या गांधी मर जाता है?
सबकी खातिर उगना नहीं छोड़ता सूरज
सबकी खातिर हवा चला करती है अब भी
जो सबसे पीछे है उसे देखने वाली
नेक नज़र चुपचाप भला करती है अब भी
चलता जा चलता जा कोई यह कह-कहकर
दुबले पाँवों में भी हिम्मत भर जाता है
तीन गोलियों से क्या गांधी मर जाता है?
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