लक्ष्‍मीनारायण लाल कृत 'मिस्‍टर अभिमन्‍यु'


-मिस्‍टर अभिमन्‍यु –लक्ष्‍मीनारायण लाल –नेशनल पब्लिशिंग हाऊस, 23, दरियागंज, नई दिल्‍ली-110002 संस्‍करण: 1985 –मूल्‍य: 5.50 मात्र

-इसका पहला प्रस्‍तुतिकरण संवाद द्वारा सत्‍यमूर्ति ऑडिटोरियम, नई दिल्‍ली में 11, 12, 18, 19 जनवरी, 1969 को हुआ।

-भूमिका –श्रीकांत वर्मा: ... अभिमन्‍यु सचमुच ही बाहर निकलना चाहता था, जिसके लिए उसने सच्‍ची लड़ाई लड़ी थी 

और वह मारा गया था, लेकिन मिस्‍टर अभिमन्‍यु बाहर निकलना नहीं चाहता- उसे केवल भ्रांति है कि वह बाहर 

निकलना चाहता है। ... वह एक अनिर्णय में पड़े व्‍यक्ति की लड़ाई है, उस व्‍यक्ति की नहीं, जो निर्णय ले चुका हो। ... 

शौर्य और महानता का युग समाप्‍त हो चुका है; केवल निजी लड़ाइयां बची हैं,… । ... राजन एक अभिशप्‍त व्‍यक्ति है। 

वह त्‍यागपत्र देना चाहता है पर देता नहीं, वह केजरीवाल का गोदाम सील करता है, पर आदेश की अवहेलना नहीं कर

पाता। वह व्‍यवस्‍था को नापसंद करता है, पर उसे तोड़ नहीं पाता। बाहर आने के अपने ख़तरे हैं। भीतर घुटन है, मगर 

सुरक्षा भी है। बाहर मुक्ति है, लेकिन मृत्‍यु भी है। ... गयादत्‍त से और उसके माध्‍यम से केजरीवाल से वास्‍तविक लड़ाई 

राजन नहीं, आत्‍मन लड़ रहा है। ज़ि‍न्‍दगी राजन की नहीं, आत्‍मन् की ख़तरे में है। मारा राजन नहीं, आत्‍मन जाता है। 

वैसे आत्‍मन की मृत्‍यु राजन की मृत्‍यु है।

-पहला अंक: -पिता जी राजन के घर आते हैं। कहते हैं कि वे राजन के कलक्‍टर से कमिश्‍नर बनने की ख़ुशियां मना रहे 

थे कि उसके इस्‍तीफ़े की बात सुनी। राजन कहता है कि वह उन्‍हीं की इच्‍छा से आई. ए. एस. बना था। सरकारी पार्टी 

के गयादत्‍त बाई इलैक्‍शन में जीते हैं। उन्‍होंने कहा कि उस चुनाव में मैंने जो उनकी मदद की, उसका प्रतिफल मुझे 

बतौर कमिश्‍नरी मिल रहा है जबकि मैंने कुछ किया ही नहीं। वे यह भी कह रहे हैं कि अपनी कमिश्‍नरी से अगले

 इलैक्‍शन में मुझे बारह लाख रुपयों का इंतज़ाम करना है। केजरीवाल ने पिछले तेरह बरसों से एक पैसा टैक्‍स नहीं 

दिया। मैंने एक्‍शन लिया। पिता जी कहते हैं कि ज़माना जैसा हो, उसी के हिसाब से चलना चाहिए। तुमको इस मामूली-

सी बात पर इस्‍तीफ़ा नहीं देना चाहिए। राजन ने आत्‍मन और गयादत्‍त को एक साथ बुलाया ताकि उनके सामने बात 

साफ़ कर सके। आत्‍मन चला जाता है। गयादत्‍त को राजन बताता है कि वह केजरीवाल का गोदाम सील करवा रहा है। 

राजन जब कहता है कि एक्‍शन लेकर वह फुल केबिनेट डिसीज़न को लागू कर गयादत्‍तों के आदेश का ही पालन कर 

रहा है तो गयादत्‍त कहता है- जनाब, आप आज्ञा और इच्‍छा के फ़र्क़ को नहीं समझते। विमल से राजन इस्‍तीफ़े के बाद 

की तैयारी के बारे में पूछता है तो वह कमिश्‍नर होने के बाद की तैयारी के बारे में बताती है। नई कार लेनी है। नया 

स्‍टेटस बनाना है। विमल कहती है कि ‘’जो जहां है, वहां से निकलने का ढोंग इसलिए करता है कि वह अपने को स्‍वयं

 से बड़ा साबित करना चाहता है।‘’  यह भी कहती है कि ‘’हमने प्रेम-विवाह किया है। तुम मुझे अभाव में नहीं रख 

सकते।‘’

-राजन को पता लगता है कि पिता जी केजरीवाल की गाड़ी में उनके यहां चाय पर गए हैं। पिता जी लौटते हैं तो बताते 

हैं कि केजरीवाल से उनका पुराना रिश्‍ता है। वे इतने बुरे आदमी नहीं हैं। बातचीत में पता लगता है कि पिता जी जहां 

बैठे थे,  वहां एक टेप रेकॉर्डर भी था। राजन एस. पी. को केजरीवाल की कोठी में रेड कर टेप रेकॉर्डर ज़ब्‍त करने का 

आदेश देता है। राजन सोचता है- ‘‘ये उसूल क्‍या हैं? ख़ुद अपनी नज़र में ऊँचे उठे रहने की बैसाखी के अलावा और क्‍या 

हैं?’’

-दूसरा अंक: राजन वह टेप सुन रहे हैं। विमल टेप बंद कर देती है। दोनों बातें करते हैं। विमल कहती है कि अगर 

राजन कलक्‍टर न बना होता तो आत्‍मन या गयादत्‍त में से किसी एक की तरह होता। राजन अपने ही व्‍यक्तित्‍व के 

एक रूप यानी आत्‍मन् से बात करता है। फिर दूसरे रूप गयादत्‍त से भी बात करता है। विमल मिसेज़ राठौर से एक 

पार्टी की चर्चा करती है। कोर्ट केजरीवाल को स्‍टे दे देती है और गोदाम की सील खुल जाती है। आत्‍मन राजन को 

बताता है कि केजरीवाल ने उसे अपनी मिल में ऑनरेरी लेबर एडवाइज़र की पोस्‍ट ऑफ़र की थी तीन हज़ार रुपये 

महीने पर और गयादत्‍त ने अपने ख़ास आदमी को गुप्‍ती चिट्ठी दी थी मेरी हत्‍या करने के लिए। दोनों के खिलाफ़ ये 

सबूत हैं। इससे पहले कि राजन उन ख़तों को ले, गयादत्‍त आ जाता है और दोनों ख़त मांगता है। आत्‍मन उनको 

अख़बार में छपवाने के लिए कहता है। आत्‍मन जाता है। पीछे-पीछे गयादत्‍त। पृष्‍ठभूमि से गोली चलने की आवाज़। 

गयादत्‍त आकर बताता है कि आत्‍मन ने आत्‍महत्‍या कर ली। राजन कहता है कि उसने आत्‍मन की हत्‍या की। पिता, 

जो वकील हैं, लाश को देख आत्‍महत्‍या के ही सबूत पाते हैं। राजन की अपने ही प्रतिरूप से बातचीत। प्रतिरूप के कहने 

पर वह अपना इस्‍तीफ़ा फाड़ देता है और चार्ज सर्टिफिकेट फॉर्म पर दस्‍तख़त कर देता है। पार्टी का दृश्‍य। राजन आते हैं। 
लोग उनको बधाइयां देते हैं। वे सबका थैंक्‍यू करते हैं। गयादत्‍त के मुँह में शराब है। सहसा हँसने से उसके छींटे राजन 

के मुँह पर गिरते हैं। (-एक प्रतिक्रिया: यह एक ऐसी लाश की त्रासदी है, जो जीना चाहती है और अंतत: महसूस करती है

 कि वह लाश ही है।) राजन फ़ोन करने में अपने को व्‍यस्‍त कर लेते हैं। संगीत पूरे वातावरण पर छा जाता है। पर्दा।

-मिस्‍टर अभिमन्‍यु मरता नहीं, उसकी प्रमोशन हो जाती है। वह इस तरह मरता है। उसकी शहादत की हत्‍या कर दी 

जाती है।


प्रमुख प्रश्‍न :
1.   मिस्‍टर अभिमन्‍यु नाटक के उद्देश्‍य पर विचार कीजिए।       -2013
2.      मिस्‍टर अभिमन्‍यु के आधार पर राजन के चरित्र का विश्‍लेषण कीजिए।    -2013
3.      मिस्‍टर अभिमन्‍यु की नाट्य भाषा। -2013
4.      मिस्‍टर अभिमन्‍यु की कथावस्‍तु और कथानक पर प्रकाश डालिए।
5.      मिस्‍टर अभिमन्‍यु की पात्र-योजना का विवेचन कीजिए।
6.      मिस्‍टर अभिमन्‍यु की संवाद-योजना का विश्‍लेषण कीजिए।
7.      मिस्‍टर अभिमन्‍यु पर रंगमंच की दृष्टि से विचार कीजिए।
8.      मिस्‍टर अभिमन्‍यु में अभिमन्‍यु किसे कहा गया है और क्‍यों?
9.      मिस्‍टर अभिमन्‍यु अपने देश-काल के प्रति न्‍याय करने वाला नाटक है। इस कथन के पक्ष या विपक्ष में तर्कसहित विचार कीजिए।
-कथावस्‍तु-चयन ब्‍यूरोक्रेसी की दुनिया से। देश चलाने वाला शक्ति-केन्‍द्र है वह। उसे लोकतांत्रिक होना चाहिए पर है नहीं। वह पैसे और राजनीति के नापाक गठजोड़ के हाथों में कठपुतली है। केजरीवाल और गयादत्‍त जैसा चाहते हैं, राजन को वैसा करना पड़ता है। राजनीतिज्ञों के आदेश और इच्‍छा में अंतर है। यह अंतर उनके दोगलेपन का सूचक है। ब्‍यूरोक्रैसी उनकी इच्‍छा के अनुसार चलती है। यह इच्‍छा देशहित में नहीं है, उनके निजी हित में है। जनता को, देश को ये तीनों मिलकर बेवकूफ़ बनाते हैं। सत्‍ता के समकालीन केन्‍द्र की हक़ीक़त सामने लाना इसकी कथावस्‍तु का प्रयोजन है। यह सत्‍ता-केन्‍द्र इतना ताक़तवर है कि कोई इसे बदलने की कोशिश करे तो राजन की तरह परेशान रहता है और उसकी परेशानी व्‍यर्थ होती है। आज़ादी के बाद का भारत जिन शक्तियों से संचालित होता है, उनसे इसकी कथावस्‍तु का सरोकार।
-कथानक:  राजन के इस्‍तीफ़े की चर्चा। इस्‍तीफ़े का कारण: कलक्‍टर से कमिश्‍नर, गयादत्‍त। केजरीवाल। पिता जी। विमल। टेपरेकॉर्डर। आत्‍मन की मृत्‍यु। राजन का अंतर्द्वंद्व और समर्पण। -परिणाम----कारण------परिणाम। (इस्‍तीफ़ा-----कारण-----इस्‍तीफ़े का फटना और कमिश्‍नरी का चार्ज स्‍वीकार करना।) उत्‍सुकता बनी रहती है। सुगठित।  
10.   मिस्‍टर अभिमन्‍यु की पात्र-योजना का विवेचन कीजिए।
-सीमित परंतु सक्षम पात्र। राजन केन्‍द्रीय। गयादत्‍त और आत्‍मन केवल पात्र नहीं, प्रवृत्तियों के प्रतीक भी। केजरीवाल की केवल सूचना, वह मंच पर नहीं आता पर नाटक में उसकी भूमिका महत्‍वपूर्ण। मिसेज़ राठौर और विमल: उच्‍च मध्‍यवर्ग की साधारण स्त्रियां। पात्र ज्‍़यादातर प्रतिनिधि।     
11.   मिस्‍टर अभिमन्‍यु की संवाद-योजना का परिचय दीजिए।
-बोलचाल की भाषा। प्रसंगानुकूल। पात्रानुकूल।
12.   मिस्‍टर अभिमन्‍यु पर रंगमंच की दृष्टि से विचार कीजिए।
-पात्र कम। केवल दो अंक। एक हत्‍या, वह भी पृष्‍ठभूमि में। सैट साधारण। प्रकाश-योजना से काफ़ी काम लिया गया है।
13.   मिस्‍टर अभिमन्‍यु में अभिमन्‍यु किसे कहा गया है और क्‍यों?
–राजन। वह मनुष्‍यता ेजरीवाल क । कोको मार डालने वाले परिवार और व्‍यवस्‍था द्वारा बने चक्रव्‍यूह में है। उसे तोड़ना भी चाहता है पर अपनी चाह को क्रियान्वित नहीं कर पाता।
14.   मिस्‍टर अभिमन्‍यु अपने देश-काल के प्रति न्‍याय करने वाला नाटक है। इस कथन के पक्ष या विपक्ष में तर्कसहित विचार कीजिए।
-यह 1969 की रचना। आज़ादी के बाद का भारत। प्रभु-वर्ग।   

प्रमुख पात्र :
-गयादत्‍त: अवसरवाद –आत्‍मन: सिद्धांतवाद/आदर्शवाद –पिता जी: व्‍यावहारिक, चतुर: आत्‍मन की हत्‍या को आत्‍महत्‍या बताने में उन्‍हें तिल-भर दिक्‍़क़त नहीं होती। केजरीवाल की दी सुविधा का ठाठ से भोग करते हैं। जीने का मतलब जीने का सुख लेना है, शारीरिक सुख। निश्चिन्‍तता का सुख।  -विमल: सुविधालिप्‍सु। अहंकारी: मिसेज़ राठौर के सामने प्रदर्शन करती है।

-राजन: -मूलत: नैतिक और आदर्शवादी: कलक्‍टर बहुत होते हैं पर सबमें ऐसी उधेड़बुन नहीं होती। ज़माने के हिसाब से वह आसानी से ढल नहीं पाता। -स्‍पष्‍टवादी: गयादत्‍त के सामने साफ़-साफ़ कहता है और अलोकप्रिय होने को तत्‍पर रहता है। पिता से भी साफ़ कहता है अपनी बात, पत्‍नी से भी।  -परिश्रमी: अपने बलबूते आई. ए. एस. बनता है। टाइपिस्‍ट नहीं होता तो ख़ुद टाइप कर लेता है -प्रेमी: पत्‍नी से तब भी प्रेम करता है जब वह उसकी बातों को ग़लत ठहराती है और उनसे विपरीत व्‍यवहार करती है। -परिवार-मोह से ग्रस्‍त: पिता जी के कहने से अपने जीवन की दिशा तय करता है जबकि वह दिशा उसका अपना चुनाव संभवत: न होती। पिता कहीं फँस न जाएं इसलिए एस. पी. द्वारा केजरीवाल के यहां रेड करवाकर वह टेप रेकॉर्डर बरामद करवाता है, जो उसके पिता की मौजूदगी में केजरीवाल के घर रखा था। यह सरकारी शक्ति का व्‍यक्तिगत इस्‍तेमाल है। -समझौतापरस्‍त: दुनिया बदलना चाहता है पर ख़ुद बदल जाता है। दुनिया बदलने में ख़तरे हैं, आत्‍मन जैसी असुरक्षा है। वह अंतत: सुरक्षा और सुख-सुविधाओं का चुनाव करता है। अपनी अंतरात्‍मा की सोच को वह जी नहीं पाता। इसे जीने के लिए ज़रूरी निरंतर साहस उसमें नहीं है। -सुविधा-मोह से दूर: भोग-विलास और दिखावे के लिए उसे कुछ नहीं चाहिए। -जटिल व्‍यक्तित्‍व: एक राजन में दो राजन। एक: गयादत्‍त, दूसरा: आत्‍मन। दोनों में टकराव। आत्‍मन से लगाव महसूस करता है, गयादत्‍त से अलगाव पर आत्‍मन को ही मारना पड़ता है। उसे मारकर वह साफ़-सुथरा गयादत्‍त बन जाता है। आदर्श पुत्र, आदर्श पति, आदर्श पिता पर आदर्श मनुष्‍य नहीं रह जाता।       
 


3 comments:

  1. मि. अभिमन्यू’ नाटक का प्रारंभ और अंत कौन-से कमरे में होता है। *

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